Angry son in law: एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी के परिवारवालों के खिलाफ बिना मांगे दहेज़ देने के लिए कोर्ट पर पंहुचा| वह अपने मांग को समझने में विफल रहा जिसके बाद कोर्ट ने उसकी याचिका ख़ारिज कर दी|
यह भी रिकॉर्ड में आया की उस व्यक्ति पर पत्नी के परिवार द्वारा क्रूरता का मामला चल रहा था| संशोधनवादी (कुमार) का दावा हैं, उन्होंने कभी भी दहेज़ की मांग नहीं की थी| इसके बाद भी उनके खाते में 25000 और 46500 रुपये की राशि भेजी गई|
दामाद पर पहले से ही प्राथमिकी दर्ज थी
न्यायधीश बुद्धिराजा ने कहा कि उसके ससुराल वालो ने पहले ही आईपीसी की धारा 498A के तहत उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई थी| जिसमे पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा एक विवाहित महिला के साथ अन्याय के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी|
अदालत ने व्यक्ति की शिकायत के सम्बन्ध में मजिस्ट्रेट की टिपण्णियों पर कहा कि ससुरालवालों ने एफआईआर दर्ज करते समय स्पष्ट रूप से स्वीकार किया था की उन्होंने कुमार को दहेज़ दिया था|
अदालत ने आगे मजिस्ट्रेट की टिप्पणी दर्ज की कि कुमार ने इस तथ्य को छुपाया था कि उसकी पत्नी और ससुरालवालों ने एफआईआर में उसके खिलाफ लगातार दहेज़ की मांग के गंभीर आरोप भी लगाए थे|
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